कम्यूनिटी-सम्बन्धी कामकाज

 

 सर्वसामान्य

 

 ' ओरोमॉडल एक प्रयास और परीक्षण है । जैसे-जैसे उसका विकास होगा, आवश्यकता के अनुसार उसके संगठन में संशोधन किये जायेंगे ।

 

   हर एक संगठन को लचीला और सुनम्य होना चाहिये ताकि वह निरंतर प्रगति कर सके और आवश्यकता पडूने पर अपने- आपमें सुधार ला सके ।

 

१२ फरवरी, १९६३

 

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      माताजी

 

    क्या मैं ' क ' की के उत्तर में लिख सकता हूं कि अमरीकी मण्डप (जो ओरोवील में बनेगा ) के बारे में अमरीका या आश्रम में लिखा गयी किसी भी पेमकलेट के लिए पहले आपकी स्वीकृति लेनी चाहिये ?

 

 ओरोवील की किसी भी योजना के बारे में कुछ भी मेरी स्वीकृति के बिना नहीं छप सकता।

 

आशीर्वाद ।

 

 २२ मार्च, १९६६

 

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मधुर मां

 

     हमारी तरकारियों की फसल पर क्रीड़ा का आक्रमण हुआ हम रोक- थाम के उपायों के बारे में पता लगा ? सोचा कि जब तक इस समस्या को के ' पर्याप्त रचनाएं ' मिलती तब तक बहुत सावधानी के साध किसी कीट- नाशक का कर लें ? क्या ' यह करने की और उनके उपयोग ये आपका संरक्षण मिल सकता है !

 

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बहुत बार हल्की और अहानिकर रक्षक-दवाई विषैली से ज्यादा प्रभावशाली होती है ।

 

१ अप्रैल, १९६६

 

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 मुझे लगता है कि ओरोवील की धरती तक अभीप्सा कर रही है ! क्या यह सच ने मधुर मां ?

 

हां, स्वयं धरती की चेतना होती है, यद्यपि यह चेतना बौद्धिक नहीं होती और अपने- आपको अभिव्यक्त नहीं कर सकती ।

 

२१ मार्च, १९६८

 

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 (ओरोवील के ' संपर्क कार्यालय ' के संदेश जिसकी स्थापना धन और व्यक्तियों के बारे में छान- बीन करने के की गयी हे जो ओरोवील देखने या वहां रहने में रुचि रखते है )

 

 'संपर्क कार्यालय ' का अध्यक्ष होने के लिए व्यक्ति को सबके लिए ओर हर देश के लिए एकदम समानता की भावना रखनी चाहिये ।

 

    इस मनोभाव में पूरी सच्चाई की आवश्यकता होती है ।

 

अप्रैल, १९६८

 

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दिव्य मां

 

 क्या आप चाहती  हैं कि जो लोग ओरोवील के काम करने आते ' उनके चित्र आपके पास भेजने से पहले मैं व्यक्तिगत रूप से उनके साध मुलाकात करूं?

 

 हां ।

 

२० जून, १९६८

 

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 दिव्य मां

 

    पिछली रविवार को आश्रम के कई छोटे बच्चे अप्रत्याशित रूप से ओरोवील की लॉरी मे चले नये और उन्होने सारी सुबह ओरोवील मे बतायी उनकी देखभाल के लिए कुछ वयस्क धी थे जिनमें मेरे साध 'क : ' ख',' ग ' भी रहे !

 

   यदि हम भली- भाति देखभाल करें तो बच्चों को रविवार के दिन ओरोवील जाने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिये या नहीं ?

 

 हां, वे जा सकते हैं अगर सब कुछ भली-भांति व्यवस्थित हो ।

 

आशीर्वाद ।

 

२८ जून, १९६८

 

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 नहीं ।

 

दिव्य मां

 

        १. क्या ओरोवील  में 'कर्मचारी विभाग' आवश्यकता है ?

 

नहीं

 

    २. क्या उसे ' संपर्क कार्यालय ' का अंग होना चाहिये ?

 

 विभागों, पदों और नामों को मत बढ़ाओ । इससे व्यर्थ में जीवन जटिल बन जाता है ।

 

२८ जून, १९६८

 

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   (औरोक्रुड प्र. ली. ' के शिलान्यास के समय दिया गया संदेश )

 

 हम अधिक अच्छे आगामी कल के लिए काम करेंगे ।

 

१४ अगस्त, १९६८

 

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   ( ' पीस ' के बारे में- मातृमंदिर के कार्यकर्ताओं का शिविर और उसके आस-पास का स्थान !

 

 मैं चाहूंगी कि यह सारा स्थान ''पीस '' (शांति) कहलाये, और वहां शांति, यथार्थ शांति का राज्य हो, केवल रहने वालों के बीच नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के समूचे ओरोवील में।

 

२९ दिसम्बर, १९६८

 

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 ऐसा लगता ने कि ओरोवील के और स्थानों की अपेक्षा 'पीस ' में भागवत कार्य का अधिक विरोध हो रहा है क्या यह सच ने ? क्या इसका कोई गृह कारण हे ?

 

 तुम खुद विश्वास रखो और शांत बने रहो ।

    यह संक्रामक है ।

    मेरे आशीर्वाद तुम्हारे साथ हैं ।

 

१९६९

 

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     (ओरोवील की ब्लॉक बनाने वाली के उद्घाटन पर दिया गया संदेश )

 

 हमेशा पूरी सचाई के साथ अपना अच्छे-से- अच्छा करना ।

 

    हमेशा पूरी सचाई के साथ सर्वोत्तम बनना ।

 

२३ जून, १९६९

 

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 (ओरोसन के घर '-' के लिए संदेश)

 

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'नयी चेतना' के लिए एक 'नया घर' ।

 

    आशीर्वाद ।

 

२५ जून,१९६९

 

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 'ओरोमॉडल' एक ठोस परीक्षण करने और यह सीखने के लिए बन रहा है कि ओरोवील में कैसे रहना चाहिये ।

 

१८ अगस्त, १९३९

 

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दिव्य मां

 

 में ओरोवील के निर्माण में मदद करना चाहता हूं लगता हे कि मदद करने के सबसे अधिक व्यावहारिक तरीका यह कि मैं वापिस अमरीका जाकर ओरोवील के लिए कार्य करूं क्या यह आपकी इच्छा है ?

 

 मेरी इच्छा है कि तुम्हें जैसे लगता है उसके अनुसार, चाहे अमरीका में या यहां, कुछ उपयोगी, व्यावहारिक और सहायक काम करो ।

 

    प्रेम और आशीर्वाद के साथ ।

 

३१ दिसम्बर, १९६९

 

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 सामान्य तेरे पर ओरोवील और विशेषकर 'ओरोमॉडल' में रहने का क्या उदेश्य है ? की सेवा करना श ' भागवत चेतना ' का सच्चा सेवक बनना?

 

'ओरोमॉडल ' में रहने का उद्देश्य है ओरोवील में रहना सीखना, वहां ओरोवील में रहना सीखने के लिए सभी आवश्यक परीक्षण करना ।

 

   हम एक ऐसा मार्ग खोजना चाहते हैं जिसमें कम्यूनिटी भगवान् के लिए जियें ।

 

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    हर एक व्यक्ति का अपना रास्ता होता है लेकिन सारी कम्यूनिटी को ऐसा रास्ता खोज निकालना चाहिये जो सबके अनुकूल हों ।

 

( २२ मई, १९७०

 

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      (विभित्र विषयों के संबंध में ओरोवील की एक कम्यूनिटी के निवासियों के साध पूछताछ के बारे में )

 

शायद उन लोगों से पूछना ज्यादा अच्छा हो जिन्होने योग के गंभीर अभ्यास दुरा, ' उच्चतर प्रज्ञा ' की कमसेकम एक झांकी पा ली हो ।

 

१९७०

 

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 दिव्य मां

 

   पिछली बार ओरोवील में मेरे बीमार पडूने का क्या कारण था ? क्या मैं फिर से ओरोवील में रह पाऊंगा?

 

अपने बारे में ज्यादा मत सोचो ।

 

प्रेम और आशीर्वाद ।

 

२१ नवम्बर, ११७०

 

     ( ' ऐस्पिरेशन स्कूल ' के उद्घाटन पर दिया गया संदेश )

 

जानने और प्रगति करने का सच्चा संकल्प ।

 

१५ दिसम्बर, १९७०

 

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    ( 'ऐस्पिरेशन  स्कूल ' ये सिखायी जाने वाली भाषाएं )

 

( १) तमिल     (२) फ्रेंच

 

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 (३) भारत की राष्ट्र-भाषा के रूप में हिन्दी का स्थान लेने के लिए सरल संस्कृत ।

 

(४) अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में अंग्रेजी।

 

१५ दिसम्बर, १९७०

 

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     (पॉण्डिचेरी में 'ओरोवील कार्यालय' के लिए संदेश )

 

 १९७१

मधुर वर्ष

२ जनवरी, १९७१

 

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     ('गजट ओरोवीलियन' के लिए संदेश )

 

हम चाहेंगे कि यह 'गजट' भविष्य का ओर प्रगति का सन्देशवाहक हो जिसे मानवजाति के लिए चरितार्थ करना है ।

 

जनवरी, १९७१

 

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 (किसी के पास भोजन और पॉण्डिचेरी ले ओरोवील के 'ऐस्पिरेशन स्कूल ' तक आने- जाने के किराये का बिल पहुंचा ? उसने माताजी को लिखा उन्होने उत्तर दिया :)

 

पढ़ाई निः शुल्क है । लेकिन स्वभावत: आने-जाने के किराये और खाने का पैसा देना होगा ।

 

६ फरवरी, १९७१

 

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      (किसी ने पूछा कि क्या ओरोवील मे रासायनिक खाद या कीटनाशक

 

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   औषधियों का उपयोग करना चाहिये )

 

 नहीं, नहीं, नहीं ।

 

   ओरोवील को उन पुरानी मूलों में न जा गिरना चाहिये जो उस अतीत की हैं जो फिर से उठने की कोशिश कर रहा है ।

 

मार्च, १९७१

 

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 रासायनिक खाद और घातक कीटनाशक दवाइयों के बिना उगाही फसल लाभदायक होती है।

 

१९७१

 

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    ( 'ऐस्पिरेशन  ' के पास 'लास्ट स्कूल ' के उद्घाटन के समय दिया गया संदेश )

 

 भविष्य उनके हाथों में है जो प्रगति करना चाहते हैं ।

 

   उन्हें आशीर्वाद जिनका आदर्श-वचन हैं : ' 'हमेशा अधिक अच्छा । ''

 

 

 भौतिक में भगवान् 'सौंदर्य' के रूप में अभिव्यक्त होते हैं ।

 

६ अक्तूबर, १९७१

 

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   (पुष्ट-रोपण [ फूलों की नर्सरी ]-''कुटी'' के लिए संदेश )

 

पुष्प वनस्पति-जगत् की प्रार्थनाएं हैं । ।

 

    पौधे परम प्रभु को अपना सौंदर्य समर्पित करते हैं ।

 

५ नवम्बर, १९७१

 

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     ( ओरोवील के भूगोलीय केंद्र पर रिथत बरगद के पड़े के चारों तरफ के बग़ीचे का अर्थ )

 

 एकता ।

 

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 दिव्य मां

 

 माहात्मिक के बारे में श्रीअरविन्द ने कहा है : ''अगर यह स्वयं को ऐसी मनुष्यों के हृदयों में देख जो स्मर्ता, गुना, हर्ष, धूर्तता देशा, संघर्ष से घिरी हो,  अगर पवित्र चषक मे छल लोभ कृतघ्नता मेली हो अगर आवगे का विकार कामना भक्ति का हास कर रही हो, तो ' में लावण्यमयी  देवी नेही ठहरेंगी !  एक भागवत विरक्ति उनमें पैदा हो जाती है और  पीछे हट जाती है  क्योंकि बे ऐसी नहीं है जो  आग्रह करें या श्रम करती रहें...!"

 

इस भय से कि कहीं ऐसा ही  न करें,  और इस दूःख से कि आपको हमने आपको दुख दिया है,   हम, ऐस्पिरेशन वासी : आपसे क्षमा चाहती है ! हममें से कइयों ने, कई बार, बदलने का वायदा किया है ; हममें से कई आज फिर से बही बयान कर रहे है ! हम आपकी कृपा के प्रार्थना करते ' अपने प्रेम के साध !

 

 प्रगति और रूपान्तर के लिए मेरा प्रेम और आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है !

 

१२ अप्रैल, १९७२

 

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 परम प्रिय मां

 

     ''बाहरी '' जगत् के साध व्यावहारिक संपर्क में मेरे सामने यह प्रश्न आता ने कि मै किस हद तक उनके रंग-ढंग और औपचारिकता

 

   १अपना उत्तर लिखते समय माताजी ने कहा कि इस चिट्ठी को मढुवाकर ध्यान के स्थान पर रखना चाहिये ।

 

का साध दूं और  किस हद तक हमारे ओरोवील के प्रयासों की नवीनता पर जोर दूं !

 

    आपके दो शब्द ओरोवील के बाहर के जगत् के लाख मेरे संपर्क में अधिक प्रकाश लायेगे!

 

 पूरी ग्रहणशीलता और सचाई के साथ भगवान् की सेवा में ।

 

आशीर्वाद ।

 

२ जनवरी, १९७३

 

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